कोलन कैंसर (Colon Cancer), जिसे बड़ी आंत का कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर भी कहते हैं, यह पाचन तंत्र के अंतिम हिस्से (बड़ी आंत यानी कोलन और मलाशय/रेक्टम) में होने वाला एक घातक रोग है। यह तब विकसित होता है जब कोलन या रेक्टम की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बनाती हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह कैंसर शरीर के अन्य अंगों में फैल सकता है।



कोलन कैंसर के मुख्य कारण:

1. पॉलिप्स (Polyps): कोलन की दीवार पर छोटी गांठें (पॉलिप्स) बनना, जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल सकती हैं।

2. आनुवंशिकता:परिवार में कोलन कैंसर या जेनेटिक स्थितियाँ (जैसे Lynch syndrome) होना।

3. जीवनशैली:

   - फाइबर की कमी और रेड मीट/प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन।

   - धूम्रपान, शराब, मोटापा, और शारीरिक निष्क्रियता।

4. उम्र: 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में जोखिम अधिक होता है।

5. पुरानी बीमारियाँ: इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस।




मुख्य लक्षण:

- मल में खून आना या मल का रंग काला होना।

- पेट में लगातार दर्द, ऐंठन, या गैस।

- वजन अचानक कम होना या थकान।

- मल त्याग की आदतों में बदलाव (लंबे समय तक कब्ज या दस्त)।

- आंतों का पूरी तरह साफ न होने का एहसास।




निदान (Diagnosis) और इलाज:

1. कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy): कोलन की अंदरूनी जाँच कर पॉलिप्स या ट्यूमर का पता लगाना।

2. बायोप्सी (Biopsy): संदिग्ध ऊतक का नमूना लेकर कैंसर की पुष्टि करना।

3. इमेजिंग टेस्ट CT स्कैन, MRI, या PET स्कैन से कैंसर के फैलाव का पता लगाना।

4. स्टूल टेस्ट: मल में खून या असामान्य कोशिकाओं की जाँच।


इलाज के विकल्प:

- सर्जरी द्वारा ट्यूमर या प्रभावित हिस्से को निकालना।

- कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, या टार्गेटेड थेरेपी।

- इम्यूनोथेरेपी (कुछ मामलों में)।


क्यों महत्वपूर्ण है स्क्रीनिंग?

कोलन कैंसर अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है। नियमित स्क्रीनिंग (जैसे 45-50 वर्ष की उम्र के बाद कोलोनोस्कोपी) से पॉलिप्स का पता लगाकर उन्हें हटाया जा सकता है, जिससे कैंसर होने का खतरा 90% तक कम हो जाता है।


अगर आपको लक्षण दिखें या पारिवारिक इतिहास हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। शुरुआती अवस्था में पकड़े जाने पर कोलन कैंसर का इलाज संभव है!

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